मीरा
मीरा
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मैं नहीँ जानती तुम्हें कैसे मनाऊं
तुम्हें कैसे भुलाऊँ।
मेरी साँसो में तुम
तुम मेरे सुर
तुम ताल
गीत में तुम
संगीत में तुम
हर भंगिमा हो तुम।
भावना हो तुम
विश्वास में तुम
नयन में तुम
पलकों पर तुम
पद में तुम
घुंघरू हो तुम
मैं नही जानती तुम्हें कैसे मनाऊं
कैसे भुलाऊँ।
पूजा हो तुम
साधना हो तुम
गीता में तुम
ग्रंथ हो तुम
भक्ति में तुम
आराधना हो तुम।
में नही जानती तुम्हे कैसे मनाऊं
कैसे भुलाऊँ।