महान हो
महान हो
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तुम एक सुहानी किरन हो/
मेरे जीवन के बिरवे की छांव हो/तपती दोपहरी में सावन की फुहार हो/उम्मीदों की बंजर धरती पर आशा की बयार हो/मेरी ज़िन्दगी मेरी कविता का आधार हो/तुम मेरी धड़कनों का गीत जीवन संगीत हो/तुम मेरी सोच में,शब्दों में,भाव में हो/ज़िन्दगी की हर धूप छाव में हो/तुम्हीं बनाती रही गीत मेरे साथ साथ/तुम्हीं थी माध्यम मेरे सृजन का/वो तुम्ही थी जिसने कहा आम नहीं खास बनों/सबके लिए प्रेरणा का अहसास बनो/तुम मेरे सर्वस्व की पहचान हो/तुम ही मेरी कल्पना,तुम ही मेरी प्रेरणा,मेरे जीवन की शान हो
सच - "माँ " तुम कितनी महान हो।
