महाकाल
महाकाल
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जब समुद्र-मंथन हो रहा था,
गरल से जग सारा कांप गया।
शिव-शंकर के पूजन से,,
देव दानव दल भांप गया।।
विष का प्याला हलाहल पीके,
प्रभु! फिर भी मुस्काए।
सृष्टि को नव-जीवन देकर,
महादेव विषधर कहलाए।।
शिव की लीला अपरंपार,
कोई समझ नहीं पाते हैं।
काल को जिसने हरा दिया,
वो महाकाल कहलाते हैं।।
