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सतीश कुमार मीणा

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सतीश कुमार मीणा

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महाकाल

महाकाल

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जब समुद्र-मंथन हो रहा था,

गरल से जग सारा कांप गया।

शिव-शंकर के पूजन से,,

देव दानव दल भांप गया।।


विष का प्याला हलाहल पीके,

प्रभु! फिर भी मुस्काए। 

सृष्टि को नव-जीवन देकर,

महादेव विषधर कहलाए।। 


शिव की लीला अपरंपार,

कोई समझ नहीं पाते हैं। 

काल को जिसने हरा दिया,

वो महाकाल कहलाते हैं।।


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