मेरी सफ़ल मेहनत
मेरी सफ़ल मेहनत
आज लगा मेरी मेहनत सफ़ल हो गई है,
मेरे शिष्य की सरकारी नौकरी हो गई है।
पढ़ाते हुए लगता था क्या होगा बालकों का
अब किसी को सफल देखकर
दिल को बड़ी तस्सली हो गई है।
आज वो सफल बालक मिला
उसकी बातें सुन दिल बड़ा खिला
ऐसा लगा जैसे कि
मेरी तो परछाई बड़ी हो गई है,
आज लगा मेरी मेहनत सफल हो गई है।
मुझ पत्थर को उसने हीरा मान लिया,
अंधेरे से लड़नेवाला दिया जान लिया,
उसकी शिष्यपरायणता देख
आँखो से गंगा जमुना शुरू हो गई है।
इस कलिकाल में जहां सब रिश्ते बिक चुके हैं,
अपने ही खून से लोग जहां बहुत लुट चुके हैं
उस नादान से बालक के पिता की उपमा देने से,
मुझे शिक्षक होने पर गर्व की अनुभूति हो गई है।
आज लगा मेरी मेहनत सफल हो गई है।
टूटे थे पत्ते मेरे, मैें टूटा हुआ एक दरख़्त था,
अधिकांश के लिए मैं एक बूढ़ा शख्स था,
पर उसकी सोच,एक गूंगे की बोलती जुबां हो गई,
इस टूटे तारे से भी किसी की जिंदगी रोशन हो गई।
हम कुछ कर न सकें तो भी कोई बात नहीं
दिल को रखें साफ इससे बढ़कर कोई बात नहीं,
साफ़ मन को देख किसी की तो तस्वीर साफ़ हो गई है,
आज लगा मेरी मेहनत सफ़ल हो गई है।
