मेरी पत्नी
मेरी पत्नी
उसका एक एक आंसू मुझ पर भारी है
हिमालय सा करती वो तो किलकारी है।
कैसे रुलाऊँ मेरे उस प्यार के फूल को
कैसे निस्तेज कर दूं प्यार की मूल को।
उसकी नाराज़गी मेरे लिये प्रलयकारी है
उसका एक एक आँसू मुझ पर भारी है।
मैंने साथ फेरों के सात वचन ही नहीं दिये
मैंने दी उसे दिल की खाली जगह सारी है।
भूल से भी कभी उनका दिल टूटने न दूंगा,
वो मेरा ख़्याल रखनेवाली दुल्हन प्यारी है।
खुल जा सिम सिम कहानियों में सुना था
सच में वो बन्द ताले की चाबी हमारी है।
अपने पिता का घर छोड़ा है,
उसने सबसे नाता तोड़ा है,
उसे न रुलाना अब कभी तू,
वो तुझे अंधेरे में राह दिखानेवाली नारी है।