मेरी माँ
मेरी माँ
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वो अंगुली पकड़ कर जो चलना सिखाये,
अच्छे बुरे की जो पहचा कराये...मेरी माँ, वो मेरी माँ..
बिस्तर हो गिला तो खुद लेटे उसपे,
सुखे मे हमको सुलाये..मेरी माँ, वो मेरी माँ..
रोटी अगर कम बने घर के भीतर,
खुद रह के भूखी हमे जो खिलाये, मेरी माँ..वो मेरी माँ...
त्यौहारो पे कपड़ो को पैसे पड़े कम,
खुद पहने पुराना, हमे नया दिलाये, मेरी माँ ..वो मेरी माँ...
रिश्ते है रेशम की नाजुक सी डोरी...
सबको जो बाँधे वो रस्सी मेरी माँ...
वो बच्चे बड़े ही नसीबो के मालिक...
मिले जिनके घर में हँसती हुई माँ..
ना आये कभी इनकी आँखो में आँसू..
है ईश्वर के सजदे बराबर मेरी माँ, वो मेरी माँ।।
वो मेरी माँ।