मेरी कल्पनाएं
मेरी कल्पनाएं
किसी के दिल की धड़कन को,
मैं लिखता हूँ शब्दों में,
किसी के दिल की बातों को,
मैं पढ़ता हूँ मन ही मन में।
मैं कोई शायर तो नहीं कि,
कोई शायरी कह सकूं,
मगर किसी की कहानी को,
एक सहारे की जुबां देता हूँ मैं।
मेरा ये मन भी कहता है,
किसी के यारानें के गीत,
उसी को गुन-गुनाने को,
कलम से आवाज देता हूँ मैं।
बयां करना मुहब्बत की,
इशारों के सरीखों को,
मुहब्बत की सरीखी निशानी से,
हल्का सा पैगाम देता हूँ मैं।
किसी के आंसूओं की कुछ,
धूंधली सी लकीरों को,
गोरे-गोरे कपोलों से,
हटाकर साफ करता हूँ मैं।
मेरी वाणी चाहे कुछ भी,
इशारा दिल का सुनता हूँ,
मगर हर एक के हिस्से का,
दुखड़ा लिखता रहा हूं मैं।