मेरी जन्नत
मेरी जन्नत
ऐ माँ तूने दिया है जनम मुझे तेरा ये दूध बनकर खून मेरी रगों में है दौड़ रहा,
तेरे हर फ़र्ज़ को हम याद हमेशा रखते हैं,
नींदे अपनी कुर्बान तुमने की है हमारी परवरिश में,
अपने सुखों को त्यागकर हमारे सुखों की परवाह की है,
हमारी हर ज़िद को तुमने है हर पल पूरा किया,
एक भी आँसू कभी हमारी पलकों से नहीं गिरने दिया।
याद है मुझको बहुत सताया है मेरी शैतानियों ने तुझे,
कि परेशान सी तू हो जाती थी नादान थे हम तब कुछ समझ नहीं,
अपनी हर भूल को अब हम कबूल करते हैं
माफी अपनी नादानियों की तुझसे अब हम मांगते हैं,
तेरी दी हुई सीख हर तेरा पढ़ाया हाउस हर पाठ हमको है याद,
तेरे बिन जीना सीखा नही हमने अब भी हर पल तेरे साथ चलते हैं
जाने कैसे कटेगी ये जिंदगी तेरे बिन ये सोच के डर लगता है।
रक्षक बन कर मेरी तू हर पल मुझे बचाती है,
हर बुराई से मुझे तू दूर सच्चाई की राह पर ले जाती है,
ईश्वर को भी हम भूल बैठे है इक तू जो है साथ मेरे,
जन्नत की भी नहीं जरूरत मेरी जन्नत तो तेरे आँचल में है।
नहीं चाहते कोई और खुशी दुनिया की बस तेरा साथ ही काफ़ी है ।
