मेरे वजूद पर प्रश्न चिन्ह
मेरे वजूद पर प्रश्न चिन्ह


मेरे वजूद पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है।
जब मैं हर काम किसी से पूछ कर सकती हूँ
जो मैं दूसरों की हाँ में हाँ मिलाती हूँ
जब मैं अपनी नापसंद को पसंद में
बदलती हूँ सच बहुत दुख होता है।
जब मेरे वजूद में प्रश्न चिन्ह लग जाता है।
माना कि मैं एक बहू, पत्नी, माँ हूँ मगर
उससे पहले में आज़ाद ख्यालों की इंसान हूँ
मुझसे नहीं होता ज़बरदस्ती कोई काम
नहीं मिला पाती किसी की हाँ में हाँ
हजार सपनों के संग यह मन उठता और सोता है।
दूसरे को खुश करते करते मन कभी-कभी बहुत रोता है।
हर जिम्मेदारी को निभाते हैं मगर कुछ रिश्तों को
संतुष्ट नहीं कर पाते है।
मन हजारों सवालों के बीच उलझ जाता है।
मेरा वजूद पर जब प्रश्नचिन्ह लग जाता है।