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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

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'मेरे सपनों का भारत'

'मेरे सपनों का भारत'

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मेरे सपनों का भारत ख़ूब सुंदर और सलोना हो,

उत्तर से दक्षिण तक महकता प्रत्येक कोना हो।

देश में न हो कोई भी निर्धन या दिखे ही कंगाल,

सब के आँगन में प्रगति और ख़ूब ख़ुशहाली हो।।


जातीयता मज़हब का न ही अनर्गल प्रलाप हो,

हर बच्चे को अच्छी शिक्षा पाने का विधान हो।

बेटा बेटी में न ही कहीं कोई व्यक्ति विभेद करे,

विषता कटुता निजस्वार्थ का न बहता बयार हो।।


देश के पढ़े लिखे नवयुवकों को रोजगार मिले,

प्रत्येक व्यक्ति के चेहरे पर भी मुस्कान खिले।

किसी के अस्मिता स्वाभिमान पे न आए आँच,

ऊँच नीच अगड़े पिछड़े न हो कोई शिकवे गिले।।


माँ, बहन, बेटियों का सबके मन में सम्मान हो,

पुरुष प्रधानता के विचारों का कहीं न मान हो।

पीड़ितों मुजलिमों को सर्व सुलभ न्याय मिले,

बहु बेटियों को जो छेड़े, उसका कत्लेआम हो।।


अमीरी ग़रीबी को सम करने की सही नीति हो,

प्रतिभाओं का हर जगह ही मिलता सम्मान हो।

मेरे राष्ट्र से भ्रष्टाचार का कहीं न हो नामोनिशान,

जनता के लिए शासन जनता के सच हाथ में हो।।


शोषण के खिलाफ़ सभी की मुखर आवाज़ हो,

नई क्रांति नव निर्माण का हर जगह आगाज़ हो।

विश्व में मेरे देश के विकास का ख़ूब ही डंका बजे,

प्रेम व मानवता सबके दिलों में, न कोई नाराज़ हो।।



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