मेरे पापा
मेरे पापा
बचपन की मेरी यादें, जीवन मेरा महकाती हैं
पापा और मेरा रिश्ता, मज़बूत बनाती जाती हैं,
जन्म हुआ था जब मेरा, सबने ही ताना मारा था
बेटा नहीं बेटी है हुई, कहा उन्हें बेचारा था
किसी की परवाह किये बिना, गोदी में मुझे उठाया था
बुरी नज़र से बचा मुझे, अपने गले लगाया था
जब भी बीमार मैं होती थी, वो चैन से ना सो पाते थे
सर दुखता था जब भी मेरा, माथे पे मरहम लगाते थे
याद अभी भी है मुझ को, हम छत पे बातें करते थे
हर बात बताते थे मुझ को, कई राज़ भी साझा करते थेI
जिस दिन मेरा विवाह हुआ, सबसे ज़्यादा खुश तो थे वो
आँसू न देख लूं मैं उनके, विदा समय छुप रहे थे वो
कोई फ़र्क नहीं पड़ा उन्हें, ऐसे दिखा रहे थे वो
समेट रहे थे खामोशी से, दिल के टुकड़े हो रहे थे जो I
माँगा मैंने जो मुझे दिया, जो भी उनके बस में था
अच्छी शिक्षा मिले मुझे, ये उनके अंतर में था
शिक्षा की पूँजी जिसपे है, वो होता कभी ग़रीब नहीं
मेहनत करो तो मिलेगा फल, हर चीज़ को कहते
नसीब नहीं I
पढ़ाई में तुलना करो उनसे, जो भी तुमसे आगे हैं
रहन सहन में देखो उन्हें, जो पीड़ित और अभागे हैं
सूखी रोटी खा लेना पर, कभी हाथ नहीं फैलाना तुम
स्वाभिमान से ही जीना, हर रिश्ता दिल से निभाना तुम I
ऐसे संस्कारों के मोती से, जीवन मेरा पिरोया है
उनके सिखाये मूल्यों को, मैंने प्यार से बड़े संजोया है I
बच्चों में बच्चे बन जाते हैं, हंसते हंसाते रहते हैं
लोग मुझे अपने पापा का प्रतिबिम्ब ही कहते हैं I
एक दोस्त के जैसे ही, वो मुझे चिढ़ाते रहते हैं,
ज़िम्मेदार पिता के जैसे, गंभीर बात भी करते हैं
अपने पापा की बेटी हूँ, उनका सपना और गुरूर हूँ मैं
मम्मी की गुड़िया हूँ मैं, पापा की आँख का नूर हूँ मैं I
असफल गर हो जाऊँ तो, मनोबल मेरा बढ़ाते हैं,
कोई भी उपलब्धि हो तो, पीठ मेरी थपथपाते हैं,
हूँ दूर मैं, पर वो साथ मेरे, ऐसा है विश्वास मुझे
अपने सर पे उनके हाथों का, होता है एहसास मुझे
भूल चूक कुछ हो जाए तो, माफ़ मुझे करना पापा
काश कुछ ऐसा कर पाऊँ, कि गर्व करें मुझपे पापा I
