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Dhirendra Panchal

Others

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Dhirendra Panchal

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मेरे पापा

मेरे पापा

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मेरे सपनों के खरीदार , खड़े हैं पापा बीच बाजार।

अपनी खुशियां रख उधार, खड़े हैं पापा बीच बाजार।

ले कंधे पर पूरा परिवार , खड़े हैं पापा बीच बाजार।

उनकी इच्छायें लाचार, खड़े हैं पापा बीच बाजार।

खरीदने को पूरा संसार, खड़े हैं पापा बीच बाजार।

मेरे इकलौते हथियार, खड़े हैं पापा बीच बाजार ।

मम्मी  के  मेरे श्रृंगार खड़े हैं पापा बीच बाजार।

आंखों पर चश्मे का वार , खड़े हैं पापा बीच बाजार।

उनके सहमे सब व्यवहार, खड़े हैं पापा बीच बाजार।

सहते शब्दों के तलवार, खड़े हैं पापा बीच बाजार।

जीते मरते रोज सौ बार , खड़े हैं पापा बीच बाजार।

रिटायर्ड हो गए वो किरदार,खड़े हैं पापा बीच बाजार।

मेरे सपनों के खरीदार , खड़े हैं पापा बीच बाजार।


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