मेरा धर्म मेरी कहानी
मेरा धर्म मेरी कहानी
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मेरा धर्म कौणसा है?
किरणों ने उजाला किया
इधर भी उधर भी
किरणे मुस्कराके बोली
मेरा धर्म कौणसा है?
बारीश की बुंदे गिरी
इधर भी उधर भी
बुंदे पुछ बैठी बता
मेरा धर्म कोणसा है?
झोंका हवा का लहराया
इधर भी उधर भी
लहराके पुछ गया वह
मेरा धर्म कौणसा है?
मिट्टी मे समा गये सब
इधर भी उधर भी
कण कण कहने लगा
मेरा धर्म कौणसा है?
आग ने चुल्हा जलाया
इधर भी उधर भी
बुझती आग ने बोला
मेरा धर्म कौणसा है?
मैने शांत होकर देखा
इधर भी उधर भी
अंदर का इन्सान चिल्लाया
मेरा धर्म कौणसा है?
किशोर झोटे,
औरंगाबाद.
