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साहित्यकार सिब्बू

Others

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साहित्यकार सिब्बू

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मेरा भारत सबसे अलग है

मेरा भारत सबसे अलग है

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मेरा भारत जगत् में सबसे अलग है।

यहाँ पर सब कुछ अलग अलग है।।


कहीं बर्फी सर्दी कितनीं हैं रहती ।

कहीं जलतीं गर्मी की होतीं दोपहरीं।।

कहीं हैं पठार , कहीं पर्वत हैं।

तभीं तो जगत् में भारत अलग है।


यहाँ नमाज़ भी होतीं भजन भी होता।

होती प्रेयर यहाँ पे, किरतन भी होता।।

मालिक है एक बस नाम अलग है।

मेरा भारत जगत् में सबसे अलग है


यहाँ 'अटल' भीं रहे है, कलाम भी बने हैं।

है 'ताज' यहाँ पे, यहाँ कबीर भी बसे हैं।।

यहाँ सबके जाति-धर्म व मत भीं अलग है।।

मेरा भारत जगत् में सबसे अलग है ।


कहीं है बंगाली, कहीं है पंंजाबीं।

कहीं उर्दू भाषा,कहीं शब्द-साखी।।

यहाँ हर कदम पर बदलती है बोली।

ये बातेें यहाँ कि जहाँ से अलग हैं ।।


है जामा मस्जिद यहीं पर, है वाराणसी

है ख्वाजा यहीं पर है मुनि और ऋषि।।

यहीं गुुुण जगत् में सबसे अलग है ।

मेरा भारत जगत् में सबसे अलग है ।।


इतना कुुुछ यहाँ पर विविध है अलग है।

सब सुत्र में बंधे भारत एक है।


मेरा भारत जगत् में सबसे अलग है ।।


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