मेल मिलाप
मेल मिलाप
इंसान बहुत जिज्ञासु,
सबसे बड़ा कारण,
आपसे में तालमेल,
जहाँ कहीं पहुँच जाता,
और हालात संभाल लेता।
इसकी शुरुआत हुई,
एक जादुई डिब्बे से,
नाम जिसका रेडियो।
अविष्कारक थे इसके मारकोनी,
कक्षा में नहीं लगता था मन,
परंतु नये नये प्रयोगों में थी बेहद रूचि।
उन्होंने बताया,
भेज सकते हम विधुत चुम्बकीय तिरंगें,
बिना तारों के।
पहले अपने घर में भेजी,
फिर तीन किलोमीटर तक,
और बाद में इंग्लैंड से कनाडा,
अटलांटिक के पार,
तीन हजार किलोमीटर का था फासला,
और यहाँ से रेडियो दुनिया में आया।
टाइटेनिक जो दुनिया का सबसे बड़ा था जहाज,
जब वो हिमखंड से टकराया,
तो उसे भी थोड़ा बहुत,
रेडियो सिग्नल से ही बचाया।
अंत में मारकोनी को मिला नोबेल,
उन्होंने दुनिया में मेल मिलाप बढ़ाया।
