मदहोश बेहोशी
मदहोश बेहोशी
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मेरी हालत को हिदायत ही समझना,
हर हद छोड़ के पी है कि पी नहीं जाती ।
माना कि अभी होश में कुछ खास नहीं हूँ मैं
मैंढक हूँ बना ,पीने दो मुझे कुआँ शराब का।
लुत्फ़ पीकर के मदहोशी का, नीलम नहीं मालूम तुम्हें
हाय!कम-बख़्त,आँखों के सिवा कभी पी ही नहीं तूने।
