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Bhawana Raizada

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मौत के फरिश्ते

मौत के फरिश्ते

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मुझे पता है एक दिन

आएंगे लेने मुझे

मौत के फ़रिश्ते।


दिवाकर की दिव्य ज्योति

थाम न पाएगी उनको,

मदमस्त पवन का प्रहार

रोक न पाएगी उनको।


विशाल भवन की पक्की दीवारें

मार्ग रोक नहीं सकतीं।

ये समुद्र की लहरें भी

बहा नहीं सकतीं।


पर्वत हो चाहें कितना भी ऊंचा

उनके सामने चूर्ण है।

बादलों की उड़ान भी

उनके सामने अपूर्ण है।


ज़िन्दगी भर का लेखा जोखा

मेरा कृत कृत्य और धोखा

मिलनसार प्रवृत्ति और स्वार्थ

सब कुछ वो ही गिनवाएँगे।


मुझे पता है एक दिन

आएंगे लेने मुझे

मौत के फ़रिश्ते।


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