मौत का इंतज़ार
मौत का इंतज़ार
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थमी हुए थी ज़िन्दगी मेरी
बस जी रहा था मैं,
अपनी ही बर्बादी का मंज़र
बड़े आराम से देख रहा था मैं!
थक गया हूँ मैं मगर,
अब तो बस मौत का इंतज़ार है मुझे
सोचा ले जाएगी मुझे अपने आग़ोश में
इस बदहाल ज़िन्दगी से दूर मुझे
पर शायद मेरी बदहाली में
उसने अपना मज़्ज़ा धुंध लिया
छोड़ गयी वो मुझे, ये कहके की
अभी तो और बर्बाद होना है तुझे !!