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अनिल श्रीवास्तव "अनिल अयान"

Others

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अनिल श्रीवास्तव "अनिल अयान"

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मौत और जिन्दगी

मौत और जिन्दगी

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मौत से जिंदगी का सामना है।

बची सांसों से इसको थामना है।


लाशों को सुकूं मिलता है नहीं ,

जल समाधि में भी उन्हे तैरना है।


व्यवस्थाएं सरकती जा रही है।

बचे पानी को जरा उतारना है।


हुक्मरानों के लिए बस आंकड़े हैं,

आंकड़ों सें जिंदगी को हारना है।


मझधार में जब फंसी हैं किस्तियां,

पतवारों के हौसले को नापना है।


घोषणाएं गलों में लटकी मिलीं,

मछलियों को समय से फांसना है।


अब तसल्ली ही बची है हिस्से में,

मान लो जो तुम्हें अब मानना है।


जिंदा रहने की दौड़ है‌ आजकल,

शर्त बस‌ इस दौड़ में जीतना है।



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