मैं वो था....
मैं वो था....
मैं वो वक़्त था जिसे भुला दिया गया
मैं वो पेड़ था जिसे काट दिया गया
मैं वो उजाला था जिसे अंधेरे ने दबा दिया
मैं वो हरा पत्ता था जिसे किसी ने तोड़ दिया
मैं वो चांद था जिसे बादलों ने ढक दिया
मैं वो याद था जिसे किसी की चाह ने भुला दिया
मैं वो राजदीप था जिसे लफ़्ज़ों ने एक लेखक बना दिया
मैं था जो अभी हूं नहीं
वो है जो कभी था नहीं।