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मैं क्या लिखूं

मैं क्या लिखूं

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अकेली बैठी हुई सोचती हूँ क्या लिखूँ

आरंभ करती हुई सोचती हूँ क्या लिखूँ।


इधर उधर देखकर सोचती हूँ क्या लिखूँ

ईश्वर पर एक कविता मैं हूँ क्या लिखूँ।


उम्र साठ साल से अधिक हूँ क्या लिखूँ

ऊपर जाने का वक़्त में हूँ क्या लिखूँ।


ऋग्वेद न जानती हूँ और क्या लिखूँ

एक एक शब्द ढूंढ कर सोचती क्या लिखूँ।


ऐतिहासिक महत्व बनाई जाए क्या लिखूँ

ओरों सब से ध्वनि सुनकर सोचती क्या लिखूँ।


औरत अकेली बैठी हुई सोचती हूँ क्या लिखूँ

अंबर छूना चाहती मेरी पंक्तियों के पंखों से

अःकार छोड़कर लिखती हूँ, 

सब को मेरा सादर प्रणाम।


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