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Mr. Akabar Pinjari

Others

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Mr. Akabar Pinjari

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मैं हूं

मैं हूं

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मैं हूं परिंदा परवाज़ में अपने

लाया हूं साज आंखों में अपने

दो बूंद मुट्ठी मैं लेकर चला हूं

जैसे समंदर भरा आज अपने


गगन चुमती काश हो आंखें तेरी

बगावत में भसम करने चले आज अपने

ना सांसों का बंधन, ना चाहत की डोरी

बस लेकर कसम कुछ चलें आज अपने


थका तो ज़मीं का निशाना भी हूंगा

फलक से तारों का फसाना भी हूंगा

अगर प्यार है तो, एक आवाज़ देना

बंद कर पंख ज़मीं पर गिरेंगे तेरे अपने


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