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Vijay Kumar parashar "साखी"

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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माटी से मोहब्ब्त

माटी से मोहब्ब्त

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हज़ार फूलों से अच्छी है इस माटी की महक

तुझ पर कुर्बान है,मेरी हर सांसो की दहक,

मैं बारबार बलिहारी जाऊँ तुझ पर,भारत माँ

तुझको समर्पित है,मेरी जिंदगी की हर चहक,

कोई चंदन का तिलक करता है,कोई केसर का

मेरा तो इस माटी से ही होता है राजतिलक,

कोई कुछ भी कहे,हमको चाहे पागल कहे

एक क्या हज़ार जन्म कुर्बान कर देंगे तुझ पर,

तू कोई जमीं का टुकड़ा नहीं है

तू हमारे इस दिल का टुकड़ा है,

तू है हमारी मां तुझ पर है,हमारा हक,

ये जिंदगी भी तेरी है,ये सांसे भी तेरी है

ये मातृभूमि ही है मेरी,

पहली और आख़री मोहब्ब्त मेरी ,बेशक।



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