मासूमियत
मासूमियत
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दाढ़ी वाले बाबा आएँ
हूहू करके हमें डराएँ ,
कभी कभी डंडा दिखाएँ,
देख उन्हें हम घबरा जाएँ।।
गुस्से में लाल पीले हो जाएँ,
आँखें बड़ी बड़ी हैं उनकी,
झोली डंडा सदा वो रखते,
इशारों-इशारों में हमें बुलाएँ।।
हम उनकी बतियों की न समझें,
सहमे सहमे रहते कुछ डरते से,
दिखते कुछ अलग थलग से,
बच्चों के प्यार को वो भी तरसें।।
साहस करके पास गए हम,
बातों उनकी मान गए हम,
झोली भरकर लाते खिलौनें,
बाबा लगते हमें खूब सलोने।