मासूम सी फरियाद
मासूम सी फरियाद
चिंटू अब
उदास सा रहने लगा है
जबसे उसने सुना
कि स्कूल खुलने वाला है ।
जो चिंटू दिनभर
गुनगुनाता था
सबको अपनी हरकतों से
गुदगुदाता था,
बातों से अपने
सबको हंसाता था
हरदम हल्ला गुल्ला
उधम शोर मचाता था
सूना है अब सदमे में है।
खाना पीना छोड़
किताबों के भय में है ।
फिर वही स्कूल की
झिक झ़िक से वो घबराने लगा है
स्कूल कुछ दिन और ना खुले
ईश्वर से फरियाद लगाने लगा है ।
विनती करता है
हे ईश्वर कोरोना का वायरस
जब तक काबू में ना आ जाए
अधिकारियों को सद्बुद्धि दे
स्कूलों को बंद तालों में ही रखा जाए।
इतनी जल्दी क्यों
बच्चों की जान जोखिम में डालते हो,
खुद बीमार होते हो तो
विदेश भाग जाते हो।
स्कूल खोलकर
हमें मझधार में क्यों लटकाते हो,
अपनी पीठ
थपथपा कर खुद शाबासी पाते हो।
पढ़ाई कुछ दिन ना हो
तो क्या हो जायेगा
घर पर रहे तो
बच्चों का जीवन बच जायेगा।
इतनी जल्दी स्कूल खोल
क्या उखाड़ लोगे
अव्यवस्थाओं में भी
क्या तीर मार लोगे।
माना घर पर रहकर
हम खूब शैतानी करते हैं
पढ़ाई छोड़
मोबाइल कंप्यूटर में
उलझे रहते हैं ।
जिद करना
घर सर पे उठाना
हमने सीख लिया
किताबों से
दूर भागना भी सीख लिया।
सारा दिन हम
नाचते गाते रहते हैं
मम्मी पापा का
सर भी खाते रहते हैं।
कभी कभी
डांट और मार का
प्रसाद भी हमें मिल जाता है
थप्पड़ों का
स्वाद ही कुछ अलग हमको भाता है।
पापा के गुस्से से
दिल डर जाता था
पर इस लॉक डाउन में
हमने इसे पचाना सीख लिया
डर के आगे जीत है
इस दिल को बताना सीख लिया।
हे ईश्वर
तुझसे फरियाद है
अभी कुछ दिन
यूं ही चलने दे
कोरोना का भय भी
इंसानों में यूं ही अभी रहने दे।
मैं सवा ग्यारह रुपए और
नारियल तुझे चढ़ाऊंगा
तेरे आगे हाथ जोड़
अपना शीश नवाऊंगा।
इस लॉक डाउन में
छक कर हमें
अपना बचपन जीने दे
कोरोना के भय में
हमें कुछ दिन और घर में रहने दे ।