मास्क लगाओ, जनमानस बचाओ।
मास्क लगाओ, जनमानस बचाओ।
ये पृथ्वी ही है इंसानों के लिए उपयुक्त,
यहां वो सब मिलता,
जिसकी हमें जरूरत।
लेकिन इंसान रहता अपने गरूर में,
करता अपनी ताकत का प्रयोग,
अपनी धाक जमाने में,
दिक्कत यहां तक आ गई,
आपस में भी नहीं रहा सहयोग,
हर देश बोलता बाकी सब बेकार,
बस मेरा ही हो पृथ्वी पे राज।
इस होड़ के चलते,
किसी एक देश में फैला घातक संक्रमण,
उसको लगा ये तो मान सम्मान की बात,
इस खबर को छुपाने की करो तैयारी।
उसने की सख्ती,
ये खबर न निकलने दी,
जो भी वहां आता,
या वहां से जाता,
साथ में संक्रमण भी फैलाता,
धीरे-धीरे ये फैल गया सारी दुनिया में,
शायद ही कोई महाद्वीप रहा अछूता।
समस्या ये आई,
इसका कोई इलाज नहीं,
बस सावधानी बरतो,
और इससे बचो।
सबसे पहले तो,
मुंह पे लगाओ मास्क,
एक दुसरे से न मिलाओ हाथ,
नमस्ते से ही चलाओ काम,
आपस में रखो दो मीटर का फांसला,
है ये तंदरुस्ती का वास्ता।
अमीर देश तो ये सब कर पाएंगे,
पर गरीब इतने साधन,
कहां से लाएंगे।
ऐसे तो हो जाएगा इंसानों का सफाया,
क्यों न सब सामर्थ बान साधन जुटाएं,
और है जहां कमी,
वहां पहुंचाएं।
टिक्के का भी करें अनुसंधान,
किंतु आपस में हो सुझबुझ और तालमेल,
जिससे किसी काम को न पड़े दोहराना,
जहां एक पहुंचा,
दुसरा उससे आगे जुट जाए।
अगर ऐसी व्यवस्था,
करने में हुए कामयाब,
तभी इंसानों का होगा बचाव,
और पृथ्वी पे रहेगा हमारा राज।