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Akhtar Ali Shah

Others

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Akhtar Ali Shah

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मानो या ना मानो

मानो या ना मानो

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एक दूसरे के संग खेले,

बचपन के दो भाई हम।

जाने क्योंकर बन जाते हैं,

होकर बड़े, कसाई हम।।


मानो या ना मानो मतलब,

यहाँ प्यार पर भारी है।

मतलब की बीमारी लोगों,

होती बड़ी बीमारी है।। 

प्यार समर्पण के जोजो कण,

रहे रक्त में जान बनें।

मतलब उन्हें दूषित कर देता,

रह जाते बेजान बनें।।

बचपन में कब जुदा हुए हैं,

करके हाथा-पाई हम।

जाने क्योंकर बन जाते हैं,

होकर बड़े कसाई हम।।


कभी हाथ में लेकर छोटा,

लिए कभी हथियार बड़ा।

भिड जाते हैं आपस में ही,

करते रहते हैं झगड़ा।।

खून-खराबा भी करते हैं,

करते हैं नुकसानी भी।

ईश्वरवादी खुद को कहते,

करते नाफरमानी भी।।

बचपन में तो एक दूसरे,

की बनते परछाई हम।

जाने क्योंकर बन जाते हैं,

होकर बड़े कसाई हम।।


"अनंत" कहते खून का रिश्ता,

तो सबसे लासानी है।

इस रिश्ते को अगर तोड़ते,

बहुत बड़ी नादानी है।

अर्ध रक्त या पूर्ण रक्त हो,

रक्त रक्त ही होता है।

फसल वही पाता किसान भी,

जैसा बीज वो बोता है।।

कब पानी में चोट मारकर,

खोद सकेंगे खाई हम।

जाने क्योंकर बन जाते हैं,

होकर बड़े, कसाई हम।।


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