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Devesh Dixit

Others

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Devesh Dixit

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मां की बांहे

मां की बांहे

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मां की बांहे बुला रहीं

इशारे से अपने लाल को

देख कर उसको मुस्कुरा रही

सीने से लगा कर जान को


पल में हंसे पल में रोए

खेले उसके साथ वो

मां की ममता ऐसी होए

हर पल चाहे उसे पास वो


लगे जरा सी खराश उसे

अत्यधिक घबराए वो

बेशक खुद ही उपचार कर सके

पर डॉक्टर के पास ले जाए वो

 

बालक की प्यारी सी मुस्कान पे

खुद भी ऐसे खिलखिलाए वो

मानो पहुंची हो विष्णु धाम पे

और उनसे मिल के आई हो


मेरा बालक कहकर ऐसे

प्यार से गले लगाए वो

ओझल न हो जाए कहीं आंखों से

आंचल में ऐसे छिपाए वो


मां की बांहे बुला रहीं

इशारे से अपने लाल को

देख कर उसको मुस्कुरा रही

सीने से लगा कर जान को।



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