माँ का वात्सल्य प्रेम (धड़कन)
माँ का वात्सल्य प्रेम (धड़कन)
जब था गर्भ में, बढ़ गई माँ की धड़कन l
पाया कोख में, खुशी के आँसू से हुआ स्पंदन ll
रो न पाया उस पल, बढ़ गई माँ की धड़कन l
होठों का हुआ स्पंदन, खिल उठा आँगन ll
पी न पाया दुग्ध, बढ़ गई माँ की ध
ड़कन l
नजर मिली माँ से, हुआ दुग्ध का स्पंदन ll
बोल न पाए मुँह से, बढ़ गई माँ की धड़कन l
माँ - माँ ध्वनि सुनी, मुस्कुरा उठे नयन ll
चल न पाए कदम, बढ़ गई माँ की धड़कन l
हुआ स्पंदन धरा से, गूंज उठा आँगन ll