माँ का आंचल
माँ का आंचल
जिम्मेदारी का बोझ जब, सर पर आया।
माँ........ तेरा आंचल याद आया ।।
सूरज की कड़कड़ाती धूप में, जब सर चकराया।
माँ........ तेरा आंचल याद आया ।।
सुबह से शाम की दौड़ - भाग, आधी भूख आधी प्यास।
थकान संग जब मैं घर आया ।।
माँ........ तेरा आंचल याद आया ।।
दुनिया भर का शोर-शराबा, उसमें नींदों का न आना।
जब मैं इन समस्याओं से तंग आया ।।
माँ........ तेरा आंचल याद आया।।
मेरा तुझसे आ के लिपट जाना, फिर तेरा प्यार से दुलराना।
तेरे आंचल में मेरा छुपना, और तेरा अपने हाथ से खिलाना।।
न जाने क्यूँ यह , ख्वाब सा हो आया।
माँ........ तेरा आंचल याद आया ।।
दुनिया में किस सुख की तलाश में निकला,
जो अब तक न मिल सका ।
न जाने क्यूँ मैं बड़ा हो आया।।
माँ........ तेरा आंचल याद आया ।।
सुकून भरा वो साया, मैं क्यूँ छोड़ आया।
माँ........ तेरा आंचल याद आया ।।
