अमित प्रेमशंकर

Children Stories

2.5  

अमित प्रेमशंकर

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मां अम्बे जगदम्बे माँ

मां अम्बे जगदम्बे माँ

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माँ अम्बे, जगदम्बे मां,

शरण में अपनी ले ले मां,

मैं बालक अतुलित अज्ञानी

विनती मेरी सुन ले मां… !


छिन्न भिन्न हुआ ये जीवन

आंधी ज़रा थमा दे मां,

ढ़ंक अपने आंचल से मुझको

अपनी दया दिखा दे मां....!


मैं लाचार, विवश हो गया

चमत्कार तू कर दे मां

अंधियारे को पार करूं

तू इतनी शक्ति दे दे मां....!


सत्य सदा लिखता रहूं,

मुझको ऐसा तू वर दे मां

अमित भिखारी द्वार खड़ा

तू झोली इसकी भर दे मां...!

             



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