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Dhirendra Panchal

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Dhirendra Panchal

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लंका में बजरंगबली

लंका में बजरंगबली

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( जब हनुमान जी के पूंछ में आग लगाने की योजना बनती है तो हनुमान जी अपने माता का स्मरण करते हैं )


  सनेह दिहे न कलेस दिहे न बिदेश में तू बिमलेश लुटाए।

  हे माई गोहार ह तोसे हमार आशीष से तू हमके दुलराए।

  व्यथा में कथा का सुनाई तोहें मोरे नाव क भाव न गिरे उठाए।

  पोंछ जरे त जरे न जरे मोर मोछ रे माई तू लाज बचाए।


( तब माता अंजनी उनको आशीर्वाद और शुभकामनाएं देती हैं )


 आशीष भी है शुभाशीष भी है तू तपिश में ना तनिको अकुलाए।

 दशकंध घमण्ड उखाड़ी देहे न पछाड़ी भगे न तनि घबराए।

  राम क नाम लिहे सरेआम तू काम कुल्हि ओनही से कराए।

  हे लाल कमाल करे भरपूर तू पूत हमार हंसी न कराए।


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