लंका में बजरंगबली
लंका में बजरंगबली
( जब हनुमान जी के पूंछ में आग लगाने की योजना बनती है तो हनुमान जी अपने माता का स्मरण करते हैं )
सनेह दिहे न कलेस दिहे न बिदेश में तू बिमलेश लुटाए।
हे माई गोहार ह तोसे हमार आशीष से तू हमके दुलराए।
व्यथा में कथा का सुनाई तोहें मोरे नाव क भाव न गिरे उठाए।
पोंछ जरे त जरे न जरे मोर मोछ रे माई तू लाज बचाए।
( तब माता अंजनी उनको आशीर्वाद और शुभकामनाएं देती हैं )
आशीष भी है शुभाशीष भी है तू तपिश में ना तनिको अकुलाए।
दशकंध घमण्ड उखाड़ी देहे न पछाड़ी भगे न तनि घबराए।
राम क नाम लिहे सरेआम तू काम कुल्हि ओनही से कराए।
हे लाल कमाल करे भरपूर तू पूत हमार हंसी न कराए।
