लक्ष्य की चाह
लक्ष्य की चाह
लक्ष्य बनाकर जीने वाले
उसका पीछा करने वाले,
लक्ष्य भला कब तक भागेगा
एक दिवस मिल ही जायेगा।।
लक्ष्य कर्म के संग रहता है
उसी के संग जीता मरता है,
भाग्य भरोसे जो रहता है
उसको लक्ष्य नहीं मिलता है।।
कर्म के पथ पर चलने वाले
बाधाओं से निपटने वाले,
लक्ष्य भला कब तक भागेगा
एक दिवस मिल ही जायेगा।।
हार हारने पर है मिलता
हार जीतने पर भी मिलता,
कौन हार के तुम अभिलाषी
कौन हार हित आंखें प्यासी।।
मिली हार से सीखने वाले
लक्ष्य को आगे रखने वाले,
लक्ष्य भला कब तक भागेगा
एक दिवस मिल ही जायेगा।।
सपने देखना ठीक है लेकिन
पर सच हों ऐसा नहीं मुमकिन,
सपने सच करने की चाह में
खुद को लगा दो लक्ष्य-राह में।।
जगकर स्वप्न देखने वाले
उस पर जीने मरने वाले,
लक्ष्य भला कब तक भागेगा,
एक दिवस मिल ही जायेगा।।
जो परवाह नहीं करते हैं
तूफानों से नहीं डरते हैं,
निज हिकमत से वही पहुँचकर
परचम लहराते हैं तट पर।।
तूफानों से टकराने वाले
कश्ती पार लगाने वाले,
लक्ष्य भला कब तक भागेगा
एक दिवस मिल ही जायेगा।।