लिखना चाहा था
लिखना चाहा था
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मैंने लिखना चाहा था
सुंदर सारी बातों को,
कलम ने सारे दर्द लिखे,
मैंने लिखना चाहा था
अब्र के आने जाने को
कलम ने सूखे खेत लिखे
मैंने लिखना चाहा था
दिन के सुर्ख उजाले को
कलम ने स्याह रात लिखी
मैंने लिखना चाहा था
इंसान की सारी दौलत को
कलम ने भूखे पेट लिखे
मैंने लिखना चाहा था
मिलन के जज्बातों को
कलम ने हिज़्र का नाम लिखा
मैंने लिखना चाहा था
चमन के सारे फूलों को
कलम ने मसली कली लिखी