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S.Dayal Singh

Others

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S.Dayal Singh

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मैं कुछ कहूँ-2

मैं कुछ कहूँ-2

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(1)

*रिश्ता*

ये रिश्ता भी कितना अजीब है 

कि व्यक्ति जितना ही गरीब है

उतना ही इस दिल के करीब है।

(2)

*चलता है*

मुंह मोटा न कर

बात घोटा न कर

खोटा भी चलता है

दिल छोटा न कर।

(3)

*मलाल*

छोटा सा सवाल है

कितना बड़ा बवाल है

जिसकी जवाबदेही है

उसी को मलाल है ।

(4)

*छल*

कल तो कल था

कल को कल न कर

आज को आज रहने दे

आज से छल न कर।

(5)

*रहने दो*

धरती को धरती रहने दो

आस्मां को आस्मां।

हवा को हवा रहने दो

इन्सां को इन्सां।

पर्वत को पर्वत रहने दो

और जंगल को जंगल।

पानी को पानी रहने दो

 जीवन हो जाए मंगल।

(6)

*कहो*

मौसम सुहावना है

मिज़ाज डरावना है

मंजर कैसा होगा,

कहो,क्या संभावना है?

(7)

*फर्क*

दो सहपाठी थे

पक्के साथी थे

एक किसान का बेटा था

दूजा सियासतदान का बेटा था

किसान का बेटा फौज में है

सियासतदान का बेटा मौज में है।

--एस.दयाल.सिंह--


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