क्योंकि लडके रोते नही
क्योंकि लडके रोते नही
गीत
क्योंकि लड़के रोते नहीं हैं
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क्योंकि लड़के रोते नहीं है,
बन जाते हैं पत्थर के ।
टूट रहे परिवार इसलिए,
बच्चे होते दर दर के ।।
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पुरूषों की सत्ता होने से,
सबक दिया ये लड़कों को।
सत्तासीन तुम्हें होना है,
कभी न रोना लड़को को ।।
संवेदना को अपनी मारो,
तुम्हें जमाने से लड़ना ।
रखना है हौसला तुम्हें तो,
आगे पथ पर गर बढ़ना ।।
लेकिन इससे हानि हुई ये,
रिश्ते आपस के दरके ।
टूट रहे परिवार इसलिए,
बच्चे होते दर दर के ।।
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तू लड़की है तुझको तो बस,
चौंका-चूल्हा करना है ।
खुश रखना है अपने पति को,
पति घर जीना-मरना है ।।
बच्चों की परवरिश करेगी,
अच्छी तो सुख पायेगी।
राज करेगी अगर दिलों पर,
तू रानी कहलाएगी ।।
किसी दूसरे के घर की तू,
तुझको रहना डर डर के ।
टूट रहे परिवार इसलिए,
बच्चे होते दर दर के ।।
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भेद करो मत नर-मादा में,
रक्खो एक समान उन्हें ।
बचपन में संस्कार एक से
देकर करो जवान उन्हें ।
कोई नहीं किसी से कमतर,
दोनों का अपना जीवन
हक दोनों के रहें बराबर,
तब महके जीवन उपवन ।।
क्योंकि हुक्म चलाता है नर,
नारी माने मर मर के।
टूट रहे परिवार इसलिए,
बच्चे होते दर दर के ।।
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गर लड़के जो रोए होते,
नहीं रूलाते लड़की को ।
भावुकता जिंदा रहती तो,
नहीं सताते लड़की को ।।
मान पत्नी को देते हरदम,
नहीं निकाली जाती वो।
लक्ष्मी, सरस्वती या दुर्गा
बनकर के पुजवाती वो
नहीं हुआ गर कल ये करलो,
देखो "अनंत" रो कर के।
टूट रहे परिवार इसलिए,
बच्चे होते दर दर के ।।
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अख्तर अली शाह अनंत नीमच
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