क्यों होता नहीं सुधार है?
क्यों होता नहीं सुधार है?
देश के कोने-कोने में उपदेशक की भरमार है
समझ नहीं आता, जाने क्यों होता नहीं सुधार है।
हर टीवी चैनल पर देखो ,बाबाओं की फ़ौज है
खाने, पीने, सोने, बैठने सभी तरह से मौज है।
धरम-करम,मोह,माया का ये सबक सिखाते हैं
भोले-भाले भक्त जनों को अपना शिष्य बनाते हैं।
निर्बल और असहाय सह रहा फिर भी अत्याचार है
समझ नहीं आता जाने क्यों होता नहीं सुधार है।
मधुर वचन में कथा-वार्ता सबको रोज सुनाते हैं
बाबाओं से मिलने खातिर टिकट ख़रीदे जाते हैं।
कोई तीसरा हाथ बताकर जनता को भरमाते हैं
टोने-टोटके भांति-भांति के वे करतब बतलाते हैं।
तब भी नहीं रोकते रुकता फ़ैल रहा व्यभिचार है
समझ नहीं आता जाने क्यों होता नहीं सुधार है।
कोई कंठहार बेंचता , कोई मूर्ति का व्यापारी
जिसके धारण कर लेने से मिट जाती दुविधा सारी।
जनम कुंडली की पुस्तक का कोई बना है व्यापारी
अपने अपने भाग्य बनाने में अंधी दुनिया
सारी।
मोबाईल कंप्यूटर टीवी पर इनका खूब प्रचार है
समझ नहीं आता जाने क्यों होता नहीं सुधार है।
धर्मगुरु तो सभी धरम के एक कम सौ के फेर में
आज चढ़ावे कितने चढ़ गए पड़े हुए इस फेर में।
माया मोह के उपदेशक ही माया मोह के फेर में
ऐसे धर्म के पथप्रदर्शक ही खुद फँस रहे अंधेर में।
ऐसे जन से भले की आशा करना ही बेकार है
समझ नहीं आता जाने क्यों होता नहीं सुधार है।
