क्या हमने पाया क्या है खोया
क्या हमने पाया क्या है खोया


क्या हमने पाया क्या है खोया
कभी दिल हँसा तो कभी है रोया
जीना हमने कभी छोड़ा नहीं
आसानी से हार को माना नहीं
रेत का पुल बनाने में पीछे रहे नहीं
जीवन की रेत को खूब है ढोया
क्या हमने पाया क्या है खोया
सोच के समुन्दर में मन टटोलता रहा
भाव की लहरों में हृदय को नापता रहा
जीवन की गहरायी को किसी ने जाना नहीं
फिर जीवन के समुन्दर में खुद को है डुबोया
क्या हमने पाया क्या है खोया
आज जीने का तरीका अलग हुआ,
कल तो सलीके से जिया करते थे
आज मरने का भी कोई फायदा नही,
कल तो सब रोया करते थे
ठोकरों में खुद ही गिरा, उठ गया
आज सम्भलने में खुद को है संजोया
क्या हमने पाया क्या है खोया