कुछ पुरानी यादें.............
कुछ पुरानी यादें.............
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कुछ पुरानी यादें आज भी बहोत याद आती हैं।
यादों की सिसकियों में कभी यूहीं रूठ जाती हैं।
कभी खुशी के वो लमहें सूकून से मुस्कुराते हैंं।
खुशगवार यादों की गज़ल में बेतहाशा इतराते हैंं।
तनहाईयों में कभी यादों के अफ़सानें गूंजते हैं।
बंद पलकों में अश्क़ अपने आशियानें ढूँढते हैं।
सैलाब़ उमड़ता है जब यादों के रंग बिखरते हैं।
कसौटी में ज़िंदगी की हम और निखरतें हैं।
सुख-दुख की यादों से कुछ लमहे तो छूट जाते हैं।
साहिल के किनारे आते-आते कभी अरमान डूब जातें हैं।