कुछ कमी सी है
कुछ कमी सी है

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ना जाने कैसी स्याही से
लिखी रब ने मेरी तक़दीर
सब कुछ दिया रब ने
फिर भी कुछ कमी सी है
कहने को तो सब अपने है
ना जाने क्यों किसी की
कुछ कमी सी है
बड़े प्यार से लिखी थी नेह की पाती
दी स्याही ने कैसी दगा कि
कोई पढ़ ही ना पाया, शायद
लिखने में कोई कमी सी है