कारीगरी
कारीगरी
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क्या कारीगरी है कुदरत की
क्या संरचना है मानव की
हर अंग शरीर का चलता है
कोई स्लो तो कोई फास्ट
हर किसी का अपना टास्क।
दिमाग सब पर धौंस जमाए
सब अंगों को कहे चलाए
बस एक दिल अपनी मर्जी चलाए
कभी तेज कभी धीमें हो जाए।
मानव को यह शिक्षा दे जाए
गर नहीं सुनी दिमाग की बात
सबका चलना हो जाएगा खराब
गर मैंने की एक पल की हड़ताल।
हर अंग दे देगा फिर जवाब
सब रखो बस सदा ये याद
दिल और दिमाग का रखो ख्याल
चलने की तो बात ही क्या!
फिर हर अंग दौड़ेगा जनाब!!
