कोविड
कोविड
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कोविड १९.
काले बादलों ने अपना रंग दिखलाया,
लाल पीले वस्त्र धारण किए पर्वतों ने,
बंजर सी होने लगी जमीन, सूख रहे थे,
पेड़ सब , जगह जगह पर छाया
मातम
सांसें बिकने लगी बाजार में, अंधेरों
ने घेरा सबको, प्रभात की कोई
किरण न दिखती, चारों ओर सफ़ेद चादर
बिछती, चील ने अब डाला डेरा,
फिर खिला अब नया सवेरा, रिश्तों ने
भी डाला डेरा, अब बसंत फिर लहराई
बाग में फिर रौनक आई।
