कोमल अहसास
कोमल अहसास
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कभी कठोर बन जाती है
कभी ढ़ेर सारा प्यार लुटाती है,
तो कभी कोमल हो जाती है
नदी की बहती धारा सी ,
यूँ ही मन मे घर कर जाती है,
जैसे कि मन की धारा में
कल-कल करके बहती है,
तो कभी शान्ति का वो अहेसास देती है।
जिसस की गोद में खो जाने वाली
एकांत शांति का एहसास होता है,
ठण्डी हवा के झोंके सी ,
हाँ हाँ, एक माँ ऐसी ही होती है
सच में ऐसी ही होती है।
