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Kavita prashant prajapati

Others

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Kavita prashant prajapati

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एक सुनहरा सफर

एक सुनहरा सफर

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बात उस समय की है,

जब मैं बच्चा था दिल का थोड़ा कच्चा था,

पर इरादों का पक्का था।

दसवीं छोड़ 11वीं में जा रहा था।

अपने सपनों की तरफ एक

और कदम बढ़ा रहा था।

नया था स्कूल गए थे लोग

अपनेपन की थी कमी,

और दिखावे की थी होड़।


सोचा था दूर रहूँगा इस माहौल से

पर किस्मत भी बड़ी टेढ़ी चीज है

ले आई उसी मोड़ पर 

देखा एक लड़की को दिल रुक सा गया

और रुके हुए दिल को थाम के

मैं वहीं से लौट आया समय बीता दिन बीते

पर जहां दिल को रोक आया

दिल ने फिर वही मोड़ लाया

पर जिम्मेदारी को याद कर प्यार को भुलाया

और मैं अपने दिल को वहीं छोड़ आया

आज भी वह गलियाँ याद आती है

आंखों पर पुरानी तस्वीर छा  जाती है

  अधूरी है

 यह कहानी क्योंकि अधूरी है इसकी हकीक़त

  सोचा लिखूंगा तब जब मिलेगी फुर्सत  


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