कोई नहीं है
कोई नहीं है
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शूलों सा सहारा कोई नहीं है
भँवरों सा मारा कोई नहीं है
यहां तो सब आंखवाले अंधे है,
ऐनकों सा सितारा कोई नहीं है
किसको आवाज में लगाता हूं,
कान वालों सा बेचारा कोई नहीं है
दर्द भी आज तो बेआवाज़ है,
जख्मों सा सहारा कोई नहीं है
गीत गाता हूं,पर
गानों सा मारा कोई नहीं है
जिसको चाहते है,वही दगा देता है,
विश्वास सा प्यारा कोई नहीं है।