कोई मिल गया
कोई मिल गया
इस हसीन शाम में ,
उमर की ढलान में
हाथ थामे चलने को
कोई मिल गया है
हाँ मुझे कोई मिल गया है
कल क्या हो नहीं जानती, पर
इस मंज़िल तक आते आते
जो थकान थी
उस से थोड़ा आराम मिल गया है
हाँ मुझे कोई मिल गया है
दिल खोल के रख दिया
उसके सामने
मैं बस आज में जीती हूँ ,
वो छोड़ दे या थाम ले
वो समझता है मेरी
इस बेफिक्री का सबब,
कि आस रखने से कोई
गहरा तजुर्बा मुझे मिल गया है
हाँ मुझे कोई मिल गया है
कुछ और कहूँ तो जल्दबाजी होगी
पर उसके बिना ज़िन्दगी में
कोई कमी तो होगी
जिसमे उसकी सोहबत का
रंग मिल गया है
हाँ मुझे कोई मिल गया है
उस से हुज्ज़तें हज़ार करती हूँ
रोज़ अपनी ख़ामियाँ आप ही
गिनवाती हूँ
फिर भी वो अटका हुआ है मुझ पे, लगता है
उसका दिमाग भी मेरी तरह हिल गया है
हाँ मुझे कोई मिल गया है
ख़्वाहिश एक अगर पूरी हो तो
ज़िक्र दूसरी का करूँ, फिर भी
एक नया ख़्वाब इस लिस्ट में
जुड़ने को मिल गया है
हाँ मुझ कोई मिल गया है