Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

J P Raghuwanshi

Others

4.5  

J P Raghuwanshi

Others

"कक्का जी"(व्यंग्य)

"कक्का जी"(व्यंग्य)

1 min
355



काल परों तक झां-भां डोले,अब वे बज रहें कक्का जी।

कार्यक्रमों की अध्यक्षता कर रहे, अब तो भैया कक्का जी।

काल परों तक सुरती फाकें, पान चबा रहें कक्का जी।

बसों में कल तक ठाड़े जावे, जीप चला रहें कक्का जी।


काला अक्षर भैंस बराबर, प्रथम नागरिक कक्का जी।

आदेशों की शोभा बढ़ा रहे,अंगूठा लगा कै कक्का जी।

काल, परों तक बोलत नहिं थे,भाषण दे रहें कक्का जी।

पढ़ें-लिखे तक सुनवें जुट रहें,मन भरमा रहें कक्का जी।


घोषणाओं की झड़ी लगा रहें,मंंच पें अपने कक्का जी।

अखबारों के मुख्य पृष्ठ पें,छप रहें देखो भैया कक्का जी।

टी.वी.और चर्चा में छा रहें,अब तो देखो कक्का जी।

देश-विदेश में नाम कमा रहें,देखो अपने कक्का जी।


रात-दिना वे रकम कमा रहें, बड़े मेहनती कक्का जी।

नैतिकता का पाठ पढ़ा रहें, जनता को अब कक्का जी।

वेबजह की योजना भैया, खूब चला रहें कक्का जी।

देश के धन को चूना लगा रहे, बड़े भाव से कक्का जी।


एक बात अब हमारी सुन लो,कान खोल कर कक्का जी।

जनता तुमको समझ गई है,मजा चखा है कक्का जी।

जनता की कुछ सेवा कर लो, प्रायश्चित कर लो कक्का जी।

जनता ऐसी धूल चटा हैं, भूल न पाहो कक्का जी।



Rate this content
Log in