Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

कल्पना रामानी

Others

5.0  

कल्पना रामानी

Others

कितनी भला कटुता लिखें -ग़ज़ल

कितनी भला कटुता लिखें -ग़ज़ल

1 min
220


भर्त्सना के भाव भर, कितनी भला कटुता लिखें?

नर पिशाचों के लिए, हो काल वो रचना लिखें। 


नारियों का मान मर्दन, कर रहे जो का-पुरुष

न्याय पृष्ठों पर उन्हें, ज़िंदा नहीं मुर्दा लिखें।


रौंदते मासूमियत, लक़दक़ मुखौटे ओढ़कर

अक्स हर दीवार पर, कालिख पुता उनका लिखें।

 

 पशु कहें दानव कहें, या दुष्ट, दुर्जन, घृष्टतम

फर्क उनको क्या भला, जो नाम जो ओहदा लिखें।


पापियों के बोझ से, फटती नहीं अब ये धरा 

खोद कब्रें कर दफन, कोरा कफन टुकड़ा लिखें।


हों बहिष्कृत परिजनों से और धिक्कृत हर गली 

डूब जिसमें खुद मरें वो शर्म का दरिया लिखें।


'कल्पना' थमने न पाए, लेखनी खूँ से भरी!

हों न वर्धित वंश, उनके नाश को न्यौता लिखें


Rate this content
Log in