कितना खूबसूरत ये समा
कितना खूबसूरत ये समा
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कितना खूबसूरत ये समां ज़मीं से मिला दूं आसमां ।।
धीरे-धीरे आ रहा बारिश बारिश में प्यार की गर्दिश
तेरी रेशमी जुल्फों में मैं बंंदिश शर्म न इश्क की इश
अधूरा हूं मैं तुमसे प्रीतमा आया मौसम फिर से बलमा
कितना खूबसूरत ऐ समा ज़मीं से मिला दूं आसमां ।।
ये हवाओं के झोंके मेरी दिल के है धड़के
नदियों कि लहर उछले सूरज बादलों में ढके
कितने थे मेरे अरमां अब पूरे हुए दिल के प्रीतमा
कितना खूबसूरत ये समा ज़मीं से मिला दूं आसमां ।।
