Manu Sweta
Others
अलमारी में रखी किताबें
कभी कभी मुझ को ऐसे देखती है
कुछ कहना चाहती है
कुछ मुस्कुरा कर मुझ को देखती है
कहो आज कैसे आये यहां पर
यही सवाल वो बार बार करती है
शायद धूल भरी आंखों से
वो मुझ को बार बार देखती है।
ज़िन्दगी
मेरा सफर
एक शाम
चाँद
तेरी यादें
रहगुज़र
हे खग
साँसों की शब