किताबें
किताबें
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अलमारी में रखी किताबें
कभी कभी मुझ को ऐसे देखती है
कुछ कहना चाहती है
कुछ मुस्कुरा कर मुझ को देखती है
कहो आज कैसे आये यहां पर
यही सवाल वो बार बार करती है
शायद धूल भरी आंखों से
वो मुझ को बार बार देखती है।